Monday, March 31, 2008

Shayari - 22

तुम्हारी आवाज़ लेगनेलगा कूव् अब अपना
क्या ये सच है केया सपना
दिलथो भूल चुकिथि एस्थ्ररह्से थडपना
अब्थो समजनेलगा ये दिल तुम्हे अपना!

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