Monday, March 31, 2008

Shayari - 18

रुटेथो आप हमसे एस्थरह, येथो एक अदा है आपकी
मनायेःथो हम आपको कैसे, येथो एक लम्हे है पहचानकी
अब आप रुटे थो किस्से रुटे, आप आपीसेथो रुटे
दिल थो आवारा नही है आपकी, केरेथो क्याकरेगी हमसे रूटके!

No comments: