Monday, March 31, 2008

Shayari - 17

पलभर मे बस बदलगई जिन्धगी तुम जानेसे अँसे
भहारथो बस दिलको चुकार निकलगई दिलबर कैसे
ज्कम सिनेपे हुवा तुम चाहे या न चाहे
दिल्थो आवारा हुवा तुम्हारे जनेअसे अँसे!

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