Monday, March 31, 2008

Shayari - 12

बार बार सोचथाहू के तुम हमे क्या लगथेहो
हर बार बोलजाती है दिल के तुमथो उसें सचां लगथेहो
पलबर मे बदलगई ज़इन्दगि, जब हमने तुमको फहलिबार देकः
दिलबर थो बनगई तुम अबहमारा थो हमने नही सोचा!

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