Monday, March 31, 2008

Shayari - 11

तेरि कातिल अदा मारडाला हमे अब किसे हम बथाये
बार बार तुमपे मरनेको जी करता है अब तुम्हे क्या बथाये
दिवानो जैसा हल होगयांहै हमारा आप का दिलसे पूछो
पागल दिल है बेचारा थोड़ा तुम घौरसे थो देखो

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