Tuesday, April 1, 2008

Shayari - 25

बार बार अते नही हम जैसे आशिक एस दुनियामे
पहचानो सनम खही खोन जये हम एस लम्भी डगारियामे
दिलकिसुनो तुम जमानापे मथजना मेरे जानेजाना
जरा सोचो, दिल थो उसकी धड़कन से करेगा क्या सौधना!