Wednesday, August 6, 2008

Shayari - 29

छाहथ थो हम केर्रहेहै कुच्भीथो सोचेबिना
अब करेभिथो क्या करे हम उनके यदोंके बिना
भूलेथोअब हम क्या क्या भूले ईसदिलको पूचेबिना
अब सोचेथो हमक्या सोचे एस दधक्नको सुनेबिना

Shayari - 28

क्या कभिसुना चंदा जले बादलसे
और बादल जले चंचल पवनों से
फिर थू कुय जलि वुन खली नयनोसे
थुथो है सुंदर केई चांदासे

Shayari - 27

सुनाथा कभी नीलि अम्बर पर चंदा छायेगी
दर्पनभी किसीसे खबी न कभी शर्माएगी
शमाथो जलाईहै तुमने चहे या न चाहे
थस्विरथो बनायाहोगा किसिनेदिलमे, तुम मने यान माने!

Shayari - 26

काजल कि औखाथही क्या है तेरे अखोंके बिना
वो थो सिर्फ़ एक खालि रंग है कोई जलवे बिना