Wednesday, August 6, 2008

Shayari - 27

सुनाथा कभी नीलि अम्बर पर चंदा छायेगी
दर्पनभी किसीसे खबी न कभी शर्माएगी
शमाथो जलाईहै तुमने चहे या न चाहे
थस्विरथो बनायाहोगा किसिनेदिलमे, तुम मने यान माने!

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